Krishna is complete and Radha is also complete. Krishna is the rasadhara of Radha and Radha is the undercurrent of Krishna. And they are the same. Therefore, even after separation, both remained at the spiritual level. Every man has a female and every woman has a male element. The difference is proportional. The male element is predominant in the male and the female element in the female. Lord Krishna was a perfect man. That is, there was no female element in them at all. Similarly, Mata Radha was perfect. That means complete woman.
कृष्ण पूर्ण हैं और राधा भी पूर्ण हैं। कृष्ण, राधा की रसधारा हैं तो राधा, कृष्ण की अंतर्धारा हैं। और ये एक ही हैं। इसलिए अलग होने के बाद भी दोनों आत्मिक स्तर पर एक रहे। हरेक पुरुष में स्त्री और हरेक स्त्री में पुरुष तत्त्व का वास होता है। अंतर अनुपात का होता है। पुरुष में पुरुष तत्त्व तो नारी में स्त्री तत्त्व की प्रधानता होती है। भगवान श्रीकृष्ण पूर्ण पुरुष थे। यानी उनमें स्त्री तत्त्व बिल्कुल भी नहीं था। उसी प्रकार माता राधा पूर्ण प्रकृति थीं। यानी पूर्ण स्त्री। अध्यात्म कहता है कि पूर्ण में कुछ मिलाओ, तो उसका रूप और रस नहीं बदलता है। मिलाप तो अपूर्ण के बीच होता है। परंतु यहां श्रीकृष्ण और माता राधा दोनों पूर्ण हैं। राधा कहीं बाहर नहीं हैं, वह कृष्ण की भीतर की धारा हैं। वह अंतर्धारा हैं, जो सदा प्रवाहित है। उनके प्रकृति रूप के साथ सदैव कृष्ण हैं। जब भी कृष्ण को याद कीजिए, वहां राधा उपस्थित मिलेंगी। जगजननी राधा को स्मरण कीजिए, वहां कृष्ण अपनी लीला संग चले आएंगे। यह शाश्वत प्रेम की सनातन धारा है। जब उद्धव ने ब्रज की यात्रा शुरू की, तो थोड़ा व्याकुल थे। तब श्रीकृष्ण ने कहा कि मैं व्रज त्यागकर, वृंदावन छोड़ कहीं नहीं जाता। मैं तो वृंदावन में ही हूं। तुम मुझसे बिछुड़ने नहीं जा रहे, बल्कि मुझे (राधारूप में) प्राप्त करने जा रहे हो।
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