For Bhairon Singh Shekhawat, Governor Baliram Bhagat proved to be as formidable an adversary as the Congress(I). From the day he assumed office in Rajasthan last summer, Bhagat was seen as unduly promoting the ruling party’s chances at the hustings. He transferred a large number of bureaucrats on the recommendation of Congress(I) leaders.
वो कहते हैं ना इतिहास कभी ना कभी खुद को दोहराता है. खासकर इतिहास और सियासत से जुड़ी हो तो वो जरूर दोहराता है. जी हां…हम बात कर रहे हैं राजस्थान में सियासी ड्रामे की. जहां सीएम अशोक गहलोत और उन्हीं के डिप्टी सीएम रहे सचिन पायलट के बीच ठनी हुई है. पार्टी की अंदरुनी लड़ाई सड़क से लेकर कोर्ट तक लड़ी जा रही है. इस बीच इस लड़ाई में एक मोड़ आया और अब राजभवन इसका केंद्र बन गया है. राजस्थान में ऐसा ही सियासी ड्राम आज से ठीक 27 साल पहले भी हुा था. अंतर बस इतना ही था कि उस समय को किरदार कोई और था. मतलब राजस्थान के सियासत में आज जहां कांग्रेस खड़ी है वहीं कभी बीजेपी खड़ी थी.
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