A lot has been said about India’s dream run at the World Cup of 1983, from being minnows to defeating the giant-killers West Indies in the Final at Lord’s to clinch the title for the first time in their cricketing history. However, not many know that behind India’s inspirational run was India’s, and in fact tournament’s leading wicket-taker Roger Binny. His tally of 18 wickets in 8 matches was the major factor that the Indian bowling attack could restrict some of the batting heavy sides to below par totals in most of the games. The seam-bowling all-rounder was always amongst the wickets and became India’s go-to man by the end of the season.
भारत ने अब तक दो बार विश्वकप जीता है. 50 ओवर वाला. और एक बार टी20 विश्वकप. हर विश्वकप में कोई न कोई एक ऐसा खिलाड़ी जरूर हुआ. जिन्होंने प्रदर्शन तो बढ़िया किया ही. पर उन्हें उतना लाइमलाईट नहीं मिला. जितने के वो हकदार थे. 1983 विश्वकप के बाद से भारतीय क्रिकेट के युग की शुरूआत हुई. जिसके बाद देश के हर कोने से क्रिकेटर आए और भारत के लिए खेले भी. जब विंडीज को हराकर कपिल देव की कप्तानी में टीम इंडिया ने विश्वकप जीता तो सबसे ज्यादा लाइमलाईट कपिल पाजी और मदन लाल और मोहिन्दर अमरनाथ जैसे बाकी खिलाड़ियों को मिला. पर एक ऐसा भी खिलाड़ी था जिन्होंने प्रदर्शन तो बढ़िया किया. पर उन्हें उतना ज्यादा क्रेडिट नहीं मिला. नाम था रोजर बिन्नी. रोजर बिन्नी का करियर ज्यादा सालों तक नहीं चला.
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