हम बात कर रहे हैं उन योद्धाओं की, जिन्होंने मां भारती के लिए अपनी जान भी दांव पर लगा दी। चाहे स्वतंत्रता संग्राम की बात हो या फिर सीमा पर लड़े गए युद्धों की, भारत की धरा इन सभी संघर्षों की साक्षी रही है। लेकिन, कोरोना कालखंड में एक अलग ही तरह की जंग लड़ी गई।
एक अदृश्य वायरस के खिलाफ लड़ी गई इस जंग में हर आम और खास यानी एक सफाईकर्मी से लेकर बड़े अधिकारी, पुलिसकर्मी, डॉक्टर सभी ने अपना योगदान दिया।
डीआईजी चंबल की जिम्मेदारी निभाते समय आईपीएस अशोक गोयल न सिर्फ भोजन वितरण के लिए मैदान में उतरे बल्कि अपनी टीम का मनोबल भी बढ़ाया।
पुलिस की साइबर सेल ने भी इस बात का पूरा ध्यान रखा कि कोरोना काल में आम आदमी को कोई परेशानी न हो।
कोरोना संक्रमण का शिकार हुए थाना प्रभारी संतोष यादव कहते हैं कि परिवार के सहयोग के बिना कोई भी जंग न तो लड़ी जा सकती है और न ही जीती जा सकती है।
कंटेनमेंट इलाकों में काम करना डराता था, लेकिन हमने हार नहीं मानी।
मौत से डर तो लगता है, लेकिन जब उद्देश्य बड़ा हो तो यही डर ताकत बन जाता है।
पीपीई किट कोरोना से सुरक्षा तो प्रदान करती है, लेकिन इसे पहनकर लंबे समय तक काम करना काफी मुश्किल भरा होता है।
जब लोग कोरोना से डर रहे थे तब हमने मरीजों की सेवा की और साफ-सफाई का ध्यान रखा।
मीडिया भी इस लड़ाई में पीछे नहीं रहा। फेक न्यूज के दौर में भारत के बहुभाषी पोर्टल वेबदुनिया ने भी महामारी से जुड़ी सही और सटीक जानकारियां अपने पाठकों तक पहुंचाईं। साथ ही कोरोना योद्धाओं की प्रेरक और दिल को छू लेने वाली कहानियों को लोगों ने खुले दिल से सराहा।
बात जब देश की हो तो हर बड़े से बड़ा बलिदान भी बहुत छोटा होता है और छोटे से छोटा योगदान भी बहुत बड़ा होता है। मनोज मुंतशिर की पंक्तियां इस दौर में काफी मौजूं हैं
तेरी मिट्टी में मिल जावां, गुल बनके मैं खिल जावां,
इतनी सी है दिल की आरजू।
दोस्तो, ध्यान से देखिए और महसूस कीजिए, कोरोना से जंग में जान गंवाने वाले योद्धा फूलों की शक्ल में आपको अपने आसपास मुस्कराते हुए नजर आ जाएंगे।
आपसे गुजारिश है सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करें,
मास्क लगाएं, कोरोना को हराएं
जय हिन्द, जय भारत…