प्रधानमंत्री अन्नदाता आय सरंक्षण अभियान से नहीं मिल रहा सरंक्षण
आंदोलन करने पर मजबूर हो रहे किसान
प्रधानमंत्री अन्नदाता आय सरंक्षण अभियान नाम से भले ही यह किसानों को हित को दर्शाने वाली योजना हो लेकिन इस योजना के नियमों के चलते प्रदेश के किसान चने की खरीद के लिए सड़क पर उतरने पर मजबूर हो गए हैं। 11 अक्टूबर 2018 को केंद्र सरकार की ओर से खाद्यान्न के आयात के लिए तैयार की गई मार्गदर्शिका के तहत इस योजना को भी मूर्तरूप दिया गया था। इसमें राज्य के उत्पादन से में 25 फीसदी से अधिक खरीद पर प्रतिबंध लगा दिया गया साथ ही 25 फीसदी से अधिक की खरदी की अनुमति के अधिकार कृषि मंत्री, खाद्य मंत्री और केंद्रीय वित्त मंत्री को सौंप कर योजना के परोक्ष रूप से अनुमति की प्रक्रिया को इतना जटिल बना दिया गया कि योजना अब किसानों के लिए सिरदर्द बन कर रह गई है। नाम से तो अन्नदाता किसानों की आय के सरंक्षण के लिए अभियान चलाने का आभास दिया गया है लेकिन वास्तविकता में खाद्यान्न की खरीद की मात्र को प्रतिबंधित कर कुल उत्पादन में से 75 फीसदी उपजों को खरीद की परिधि से बाहर कर दिया गया है और किसानें की आय पर कुल्हाड़ी चलाई गई है।