उत्तरप्रदेश (Uttar Pradesh) का फल (Fruits) काश्तकार कोरोना संक्रमण के चलते बदहाली की कगार पर पहुंच गया है। उसके फल पेड़ों पर ही सड़ गए हैं। सावन के महीने में भोले के भक्त बड़े चाव से नाशपाती शिवलिंग पर चढ़ाते और खाते हैं। इस बार शिवजी का प्रिय फल नाशपाती तो पेड़ों में ही सड़ गया। बाजार में नाशपाती की आवक नहीं है और स्थानीय मंडी में यह फल औने-पौने दामों में पहुंच रहा है जिससे किसानों को उनकी लागत मूल्य भी नहीं मिल पा रहा है।
कोरोना काल किसानों (Farmers) के लिए यह किसी महाप्रलय से कम नजर नहीं आ रहा है। खासतौर से फल उत्पादन करने वाले किसानों को इस दौर में नुकसान ही हुआ है जिसके चलते किसानों की कमर टूट गई है। जहां फल काश्तकार आम और लीची के नुकसान से परेशान था, तो उसने सोचा कि नाशपाती की बंपर फसल बागों में खड़ी है और वह अपने नुकसान की पूर्ति बाजार अनलॉक होने पर पूरी कर लेगा। लेकिन कोरोना भय के चलते आगरा, मथुरा, बिजनौर, मुरादाबाद और नजीबाबाद और अन्य जगहों से नाशपाती के खरीदार मेरठ स्थित किठौड़ बागों तक नहीं पहुंच पा रहे हैं, लिहाजा पेड़ों पर लगी फसल नष्ट हो गई और सभी किसानों को अच्छा-खासा नुकसान हुआ है।
कोरोना संक्रमण में वैसे तो सभी परेशान हैं, लेकिन सबसे ज्यादा आफत देश के अन्नदाता पर बरसी है। विशेषतौर पर फल उत्पादन करने वाले किसानों के लिए यह काल बेहद नुकसान वाला साबित हुआ है। बीते 3-4 महीनों में गुजरात, अहमदाबाद, महाराष्ट्र के कारोबारी एक स्थान से दूसरे स्थान पर जा नहीं सके व फल नहीं खरीद पा रहे हैं जिसके चलते फल पेड़ पर ही सड़ रहे हैं।